प्रधानमंत्री ने डूंगरपुर के कलक्टर को नवाचार के लिए अवार्ड प्रदान कर किया सम्मानित
जयपुर, 21 अप्रेल। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को ग्यारहवें सिविल सेवा सर्विसेज दिवस पर आयोजित भव्य समारोह में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए डूंगरपुर के जिला कलक्टर श्री सुरेन्द्र कुमार सोलंकी को प्रधानमंत्री एक्सीलेंस पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। यह पुरस्कार आदिवासी अंचल में महिला इंजीनियर्स के माध्यम से सोलर लैम्प प्रोजेक्ट का नवाचार करने के लिए प्रदान किया गया।
प्रधानमंत्री एक्सीलेंस पुरस्कार की थीम ‘मेकिंग फॉर न्यू इंडिया’ पर इस पुरस्कार के लिए देश के पांच सौ निन्यावें जिलों से आई प्रविष्टियों में चयन कमेटियों की स्क्रीनिंग टेस्ट, साइट निरीक्षण के बाद देश के चयनित बारह जिलों में डूंगरपुर जिले का सोलर लैम्प प्रोजेक्ट में नवाचार के लिए चयन किया गया।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद डूंगरपुर जिला कलेक्टर श्री सोलंकी नेे बताया कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की प्रेरणा और राज्य सरकार के मार्गदर्शन एवं सहयोग के फलस्वरूप जिला प्रशासन की कडी मेहनत एवं सतत् प्रयासों की बदौलत पहली बार डूंगरपुर जिले को महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के तहत अपनी तरह की अनूठी परियोजना एवं नवाचार के लिए यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन डूंगरपुर ने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) के क्लस्टर स्तर महासंघों (सीएलएफ) के साथ साझेदारी करते हुए सोलर लैंप निर्माण परियोजना का सफल संचालन किया गया है। आदिवासी महिला इंजीनियरर्स ने आईआईटी मुम्बई से प्रशिक्षण लेकर अपनी कड़ी मेहनत एवं सार्थक प्रयासों की बदौलत सोलर लैम्प निर्माण परियोजना की अभूतपूर्व सफलता की नई कहानी लिख दी है। श्री सोलंकी ने बताया कि डूंगरपुर में महिला सशक्तिकरण की अनूठी इबारत लिखते हुए भारत में पहली बार जनजाति क्षेत्र की महिलाओं के स्वामित्व वाले सौर पैनल निर्माण संयत्र ‘दुर्गा’ की आधारशिला रखी गई है। यह संयत्र शीघ्र ही काम करना प्रारंभ करेगा।
प्रधानमंत्री द्वारा समारोह में लोक प्रशासकों द्वारा नवाचार विषय पर लोकार्पित पुस्तक में डूंगरपुर जिले के सोलर लम्ैंप प्रोजेक्ट को महिला इंजीनियर्स के छायाचित्रों के साथ प्रमुखता से स्थान दिया गया है।
जिला प्रशासन-डूंगरपुर ने राजीविका के क्लस्टर स्तर महासंघों (सीएलएफ) के साथ साझेदारी में जिले के दूरदराज के क्षेत्रों में ‘सौर अध्ययन लैंप’ वितरण कार्यक्रम (मिलियन सोउल परियोजना) शुरू करने के लिए आईआईटी मुम्बई को आमंत्रित किया गया। आईआईटी इस से पहले भी एक लाख सौर अध्ययन लैंप भारत के विभिन्न भागों में वितरित कर चुका है । डूंगरपुर में किफायती दरों पर लैम्प उपलब्ध कराने के लिए आइडिया सेल्युलर सीएसआर द्वारा मदद दी गई है।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना सौर उद्यम के स्थानीय विकास पर केंद्रित है, जिसमें लैम्प्स बनाने व बेचने के लिए सीएलएफ से महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को प्रशिक्षण एवं परामर्श दिया जा रहा है। परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा स्थानीय महिलाओं के द्वारा सौर दुकानों का निर्माण करवाना है। जिनमें लैम्प्स की मरम्मत और रख रखाव करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अनोखी पहल सेेेेे राज्य के आदिवासी बहुल व सबसे पिछड़े ब्लॉक्स में से स्थानीय महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है । सीएलएफ द्वारा अर्जित आय का एक हिस्सा डूंगरपुर में एक मॉडयूल निर्माण इकाई की स्थापना हेतु इस्तेमाल किया जाएगा जिससे लैंप संयोजन की प्रक्रिया को स्थानीय उत्पादन के अगले चरण तक ले जाया जा सके।
भारत में पहली बार पूर्णतया स्थानीय जनजातीय समुदाय के स्वामित्व वाला और उन्ही के द्वारा संचालित सौर मॉड्यूल निर्माण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। पूर्व में 24 लाख रुपए से अधिक के कोष की राशि आदिवासी महिलाओं द्वारा औद्योगिक कारखाने की स्थापना के लिए एकत्रित की गयी थी। जिला कलक्टर सुरेंद्र कुमार सोलंकी के अधीन जिला प्रशासन ने अपनी सीमाओं से बाहर जाकर परियोजना को सभी संभव तरीकाें से सहयोग किया है। भूमि उपलब्ध कराने एवं नियामक सहयोग के साथ साथ धन जुटाने का भी वादा किया गया है। मिलियन सोउल परियोजना के प्रो चेतन सिंह सोलंकी ने बताया कि आईआईटी मुम्बई के लिए भी यह एक गर्व का क्षण है। आईआईटी मुम्बई समुदाय के तकनीकी और व्यापार के संचालन में सक्षम हो जाने तक हर प्रकार की सहायता प्रदान करेगी। आइडिया सेल्युलर द्वारा इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अतिरिक्त धन दिया गया है एवं उम्मीद है कि यह सयंत्र शीघ्र ही काम करना शुरू कर देगा।