- वर्तमान समय में परम्परागत ऊर्जा स्रोत पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजस्थान में वर्ष भर सूर्य की किरणें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2019 और सोलर-विंड हाईब्रिड ऊर्जा नीति-2019 लागू की है। इनके लागू होने से प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है और स्थानीय स्तर पर रोजगार भी उपलब्ध हो रहे हैं।
प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के अनुकूल बेहतर स्थितियां मौजूद
- राजस्थान ऐसा राज्य है जहां सूर्य की स्वच्छ किरणें साल के 365 दिनों में से 325 दिनों तक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहती है। साथ ही यहां पर पवन ऊर्जा की भी प्रचुरता है। प्रदेश के जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर सहित अन्य जिलों में 1.25 लाख हैक्टेयर भूमि मरूस्थलीय एवं बंंजर जमीन के रूप में उपलब्ध है। इसमें से अधिकतर भूमि राजस्व विभाग की है, जिसका उपयोग वैकल्पिक ऊर्जा परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि सौर ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान की अनुकूल भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए प्रदेश में 142 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का आंकलन किया गया है।
राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2019
- मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिए सौर ऊर्जा नीति-2019, विण्ड एण्ड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी-2019 लागू की है। निवेशकों की सहूलियत के लिए 'वन स्टॉप शॉप' सुविधा भी शुरू की गई है।
- राज्य सरकार द्वारा दिसम्बर, 2019 में जारी की गई राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2019 में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में प्राइवेट निवेशकों को प्रदेश में अपनी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना करने के लिए अनेक सुविधाएं एवं छूट प्रदान की गई है। इनमें स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत की राहत, एसजीएसटी पर 7 वर्ष हेतु 90 प्रतिशत निवेश अनुदान, 7 वर्ष तक 90 प्रतिशत रोजगार अनुदान और एमएसएमई नीति के समस्त लाभ शामिल हैं।
- साथ ही रिप्स-2019 के तहत ब्याज अनुदान एवं अन्य लाभ तथा कस्टमाइज पैकेज, भूमि आवंटन 50 प्रतिशत दर पर, 10 वर्ष तक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट, अक्षय ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना पर ट्रांसमिशन एवं व्हीलिंग चार्जेज पर 10 वर्ष तक शत-प्रतिशत छूट आदि अनेक राहतें भी शामिल हैं।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य सरकार की उपलब्धियां
- वर्तमान में राज्य में 12741 मेगावाट क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं, जिसमें 7738 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र, 4338 मेगावाट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र, 545 मेगावाट क्षमता सोलर रूफ टॉप एवं 120 मेगावाट क्षमता के बायोमास ऊर्जा संयंत्र सम्मिलित हैं। राज्य में अक्षय ऊर्जा के संयंत्रों की स्थापना की क्षमता, कुल स्थापित क्षमता का लगभग 35 प्रतिशत है।
- राज्य में जोधपुर जिले के भडला में 2245 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क स्थापित किया गया है, जोकि क्षमता की दृष्टि से विश्व का सबसे बडा सोलर पार्क है। राज्य में 13641 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों एवं 1878 मेगावाट क्षमता के हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
कुसुम कॉम्पोनेन्ट-ए के तहत लगे ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादन प्रारंभ
- प्रदेश में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा क्रियान्वित पीएम कुसुम कॉम्पोनेन्ट-ए योजना के अंतर्गत देश के पहले सौर ऊर्जा संयंत्र भालोजी गांव, जयपुर से 1 अप्रैल, 2021 से ऊर्जा उत्पादन आरम्भ हो गया है।
- वहीं प्रदेश के दूसरे सौर ऊर्जा संयंत्र से चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के घडसीसर गांव में 03 जून, 2021 से ऊर्जा उत्पादन प्रारम्भ हो गया है।
राजस्थान बना देश का सबसे अधिक सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य
- भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान राज्य 7737.95 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता करने के साथ कर्नाटक को पीछे छोड़ते हुए देश में पहले पायदान पर आ गया है।
- एमएनआरई की रिपोर्ट में गुजरात 5708 मेगावाट क्षमता के साथ तीसरे, तमिलनाडु 4675 मेगावाट क्षमता के साथ चौथे तथा आंध्रप्रदेश 4380 मेगावाट के साथ पांचवे स्थान पर है।
- कोविड की विषम परिस्थितियों के बावजूद विगत मात्र आठ माह में ही राजस्थान में 2348.47 मेगावाट नई सौर ऊर्जा की क्षमता स्थापित की गई है।