- आज के प्रतिस्पर्धी युग में उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं मिलना बहुत कठिन है, इन सबसे बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ मानक बनाए गए हैं जिनका उत्पाद बनाने वाली कंपनियां पालन करती है।
- बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की गुणवत्ता और मूल्य भिन्न होते हैं। जो भी वस्तु हम खरीदना चाहते हैं, मूल्य के हिसाब से गुणवत्ता उसी के अनुरूप होनी चाहिए।
- वस्तु के मूल्य तथा उसके वजन की जांच तो उपभोक्ता अपने स्तर पर कर सकता है परंतु वस्तु की गुण या गुणवत्ता के बारे में वह स्वयं निर्णय नहीं ले सकता, क्योंकि उसे न तो वस्तु के निर्माण की तकनीक का पता होता है और न ही वस्तु की गुणवत्ता के साधन उसके पास होते हैं। अत: बहुत बार वह भ्रामक विज्ञापनों, आकर्षक पैकिंग के चक्कर में फंसकर घटिया वस्तुएं खरीद लेता है जिस कारण उसका मेहनत से कमाया हुआ पैसा तो बर्बाद होता ही है, साथ ही कभी-कभी उसकी सेहत और जान के लिए खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
- उपभोक्ताओं को ऐसी स्थिति से उबारने की दृष्टि से वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता सम्बन्धी मानकों का चलन शुरू किया गया और वस्तुओं पर मानक चिह्नों की उपस्थिति वस्तुओं की गुणवत्ता की गारंटी का काम करने लगी। अत: यह उपभोक्ताओं के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हुई।
अंतर्राष्ट्रीय मानक
- 14 अक्टूबर, 1946 में विश्व के 25 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन की स्थापना का निर्णय लिया गया था। आई.एस.ओ. सभी सदस्य देशों के राष्ट्रीय मानकीकरण संस्थाओं का अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानकों का निर्धारण करता है।
- अब तक आई.एस.ओ. ने विभिन्न विषयों पर 13000 से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों का निर्धारण किया हुआ है, इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि, गुणवत्ता स्पर्धा का विस्तार और अंतर्राष्ट्रीय जन जीवन के स्तर में सुधार हुआ है।
राष्ट्रीय मानक संस्थान
- भारतीय मानक ब्यूरो भारत का राष्ट्रीय मानक संस्थान है। औद्योगिक विकास, उपभोक्ता संरक्षण तथा दैनिक जीवन में मानकों के निर्धारण की संगठित प्रक्रिया जनवरी, 1947 में भारतीय मानक संस्था की स्थापना के साथ शुरू हुई थी। अपने कार्यकाल में इस संस्था ने औद्योगिक विकास एवं जन जीवन के स्तर में सुधार लाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- मानकों के निर्धारण में देश के लगभग 40,000 वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ, प्रमुख प्रयोगशालाओं, उपभोक्ता संगठनों एवं सम्बन्धित सरकारी विभागों एवं उप समितियों के सहयोग से ब्यूरो ने अब तक 17,000 से भी अधिक मानकों का निर्धारण कर औद्योगिक इकाइयों के गुणवत्ता विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
- वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए लगभग 14000 से भी अधिक लाइसेंस जारी किए हुए हैं।
एग्रीकल्चरल मार्किग (एगमार्क)
- खाद्य पदार्थों का श्रेणीकरण व चिह्नांकन भारत सरकार का विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय पिछले 70 वर्षों से करता आ रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति कृषि उत्पाद अधिनियम, 1937 के अनुसार किया जाता है।
- निदेशालय कृषि, बागवानी, पशुधन, दुग्ध उत्पाद व उनसे प्राप्त उत्पादों के लिए उपयुक्त गुणवत्ता परिभाषाओं तथा श्रेणी मानक निर्धारित करता है। श्रेणी मानक तैयार किए जाते समय उत्पादों की प्रयोगशाला में जांच की जाती है।
- सरकारी विभागों, उत्पादकों, व्यापारियों आदि से विचार विमर्श के पश्चात ही श्रेणी मानक तैयार किए जाते हैं। इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है। इसके बाद यह कानूनी रूप ले लेता है। अभी तक 150 कृषि एवं संबद्ध वस्तुओं के मानक तैयार कर अधिसूचित किए जा चुके हैं। एगमार्क की योजना घरेलू उपभोग के लिए एक ऐच्छिक योजना है।
कुछ प्रमुख मानक चिन्ह
- सामान्यत: बाजार में उपलब्ध विभिन्न वस्तुओं पर लगने वाले मुख्य चिह्न निम्नलिखित प्रकार से हैं -
आई.एस.आई. का निशान
- आई.एस.आई. का निशान भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रदान किया जाने वाला प्रमुख मानक चिह्न है। यह अधिकांशत: सभी प्रोसेस किए खाद्य उत्पादों सहित आम उपभोग की अधिकांश वस्तुओं जैसे विद्धुत उपकरण, सीमेन्ट, लोहे के पाइप, हेलमेट आदि पर लगाया जाता है।
एफ.पी.ओ. का निशान
- एफ.पी.ओ. FPO का चिन्ह एक अन्य महत्वपूर्ण मानक चिन्ह है, जो विभिन्न प्रकार के डिब्बाबंद फल पेय, शीतल पेय व अचार, चटनी, फ्रूट जैम, शर्बत व सॉस आदि खाद्य पदार्थों पर लगाया जाता है।
आई.एस.ओ. 9001 का निशान
- आई.एस.ओ. 9001 श्रृंखला के विभिन्न निशान गुणवत्ता प्रणाली को दर्शाते हैं। आईएसओ निशान किसी उत्पाद की गुणवता प्रमाणित करने के स्थान पर उसकी पूरी प्रणाली को प्रमाणित करते हैं। यह चिन्ह सेवा क्षेत्रों जैसी बैंकिंग, शिक्षा आदि से जुड़े संस्थाओं द्वारा भी उपयोग में लाया जाता है।
- आई.एस.ओ. मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वर्तमान में 91 देशों की राष्ट्रीय मानक निकायों शामिल हैं, के लिए है। इसका कार्य एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान—प्रदान को बेहतर बनाने के प्रयास में वैश्विक मानकों का विकास है। आई.एस.ओ. 9001 मानक गुणवत्ता प्रबंधन मानक है।
एगमार्क का निशान
- एगमार्क (AGMARK) प्रमाण चिह्न है जो भारत में विशेषकर कृषि/खाद्य उत्पादों पर लगाया जाता है। खाद्य उत्पादों पर इस चिह्न का उपयोग इस बात को साबित करता है कि ये उत्पाद कुछ निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हैं। इसमें देशी घी, तेल, मसाले, आटा जैसे उत्पा शामिल हैं। ये मानक भारत सरकार के विपणन तथा निरीक्षण निदेशालय द्वारा अनुमोदित होते हैं।
- विपणन तथा निरीक्षण निदेशालय, कृषि उत्पाद (श्रेणीकरण तथा मार्किंग) अधिनियम, 1937 जिसे 1986 में संशोधित किया गया, के अंतर्गत कृषि तथा उससे संबंधित उत्पाद के प्रोत्साहन, मानकीकरण तथा श्रेणीकरण में लगा हुआ है। यह एगमार्क मानकों के नाम से सुविख्यात है।
इको मार्क ECO mark
- इको मार्क चिह्न जो यह प्रमाणित करता है कि जो उत्पाद आप इस्तेमाल कर रहे हैं वह उत्पाद पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाएगा। इको मार्क पर्यावरण की सुरक्षा से सम्बन्धित मानक तैयार करेगा।
- इसी प्रकार अन्य बहुत से मानक चिह्न प्रचलन में हैं। जैसे कम ऊर्जा खपत को दिखने वाले स्टार अथवा वास्तविक ऊन एवं सिल्क को दिखाने वाले वूलमार्क या सिल्कमार्क आदि।
- उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे मानक चिह्नों को देखकर गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं की खरीद करें।