जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग/जीरो बजट प्राकृतिक खेती
- राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में 'खेती में जान, तो सशक्त किसान' की सोच रखते हुए कृषि लागत को कम करने के लिए जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- यह एक प्रकार की प्राकृतिक खेती है जिसमें फसलों को वास्तविक वातावरण/जलवायु में पैदा किया जाता है। जहां मानवीय गतिरोध कम से कम हो, बाहरी कृषि आदान शून्य हो तथा हानिकारक रसायन/कीटनाशक, खरपतवार नाशक उत्पादों का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्राकृतिक खेती एक प्रकार से संपोषणीय खेती है जहां उत्पादन लागत को कम किया जाता है।
- इसमें भूमि-जल-पारिस्थितिक पर्यावरण को आपसी सामंजस्य बिठाया जाकर खेती की जाती है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।
- प्राकृतिक खेती में गाय, भैंस या अन्य पशुओं का भी प्राकृतिक तरीके से पालन—पोषण किया जाता है तथा उनसे उत्पादित बायो प्रोडक्ट्स को खेती में काम लिया जाता है।
- प्राकृतिक खेती से जैव विविधता को बल मिलता है।
- प्राकृतिक खेती में देशी/क्षेत्रीय फसलों/किस्मों का प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक खेती में पशुपालन व उद्यानिकी फसलों का भी समावेश किया जाता है।
उद्देश्य
- पर्यावरण संरक्षित तथा जलवायु सहनशील प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना ताकि भूमि की उर्वरता शक्ति में वृद्धि हो सके।
- कम सिंचाई, टिकाऊ एवं समन्वित जैव विधियों द्वारा खेती की लागत कम करना ताकि किसानों को प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक आय प्राप्त हो सके।
- मानव सेहत एवं स्वास्थ्य हेतु रसायन मुक्त तथा पौष्टिक भोजन का उत्पादन
- जैव विविधता एवं पर्यावरण का बचाव करना।
- किसानों को कलस्टर्स/समूह के रूप में विकसित कर उनको उत्पादन, प्रसंस्करण तथा प्रगति हेतु सशक्त करना।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयनित जिले
- टोंक, सिरोही, बांसवाड़ा
पायलट प्रोजेक्ट
- राज्य के 3 जिलों (टोंक, सिरोही एवं बांसवाड़ा) में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना का क्रियान्वयन किया गया।
- वर्ष 2020-21 में राज्य के 15 जिलों (टोंक, अजमेर, अलवर, बारां, झालावाड़, भीलवाड़ा, उदयपुर, बांसवाड़ा, सीकर, नागौर, बाड़मेर, चूरू, जैसलमेर, हनुमानगढ़ व सिरोही) में योजना का क्रियान्वयन किया गया।