राजस्थान सरकार किसानों के हितों के लेकर बेहद सजग है यही वजह है कि प्रदेश के किसान विकास की राह पर चल रहे हैं। उन्हें राज्य सरकार की ओर से हर वह सुविधा मिल रही है जिसके लिए वह पात्र है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों के न केवल ऋण माफ किए बल्कि किसानों के उत्थान के लिए किसान कल्याण कोष का गठन किया, साथ ही 'मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना' के तहत कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल पर प्रतिमाह एक हजार रुपये और अधिकतम 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष अनुदान दिया जा रहा है। प्रदेश में आगामी बजट वर्ष 2022—23 में किसानों के लिए अलग से कृषि बजट पेश किया जाएगा।
प्लास्टिक टनल (लो—टनल) तकनीक एवं उसके फायदे
लो टनल सब्जी उत्पादन की सस्ती, कारगर एवं व्यवहारिक तकनीक है। इसके उपयोग से विपरीत मौसम जैसे अधिक सर्दी में भी फसल उत्पादन लिया जा सकता है। यह फसल को पाले से बचाव करती है। इस तकनीक द्वारा गर्म वातावरण की सब्जियों को अधिक ठंड के समय बोकर मुख्य फसल से पहले उत्पादन लेकर 2 से 3 गुना अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
बेमौसम और अगेती फसल लेने तथा अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिए किसान प्लास्टिक टनल का प्रयोग कर रहे हैं। इससे फसल को पाले से बचा सकते हैं।
लो-टनल 6 मिली मीटर मोटाई व दो मीटर लम्बाई के जंगरोधी पाइपों को अर्ध्द गोलाकार आकार में मोड़कर खेत में खड़ा करके उनके ऊपर प्लास्टिक ढककर तैयार की जाती है।
इनके मध्य में ऊंचाई 2 से 3 फीट तथा एक सिरे से दूसरे सिरे तक चौड़ाई 3 से 3.5 फीट होती है।
इन संरचनाओं में सर्दी के मौसम में बेमौसम सब्जी जैसे टमाटर, मिर्च, खीरा, कद्दू, करेला, खरबूजा व अन्य सब्जियों की खेती की जा सकती है।
इसमें दिन के समय जब सूर्य की रोशनी प्लास्टिक पर पड़ती है तो टनल के आंदर का तापमान करीब 10 से 12 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सब्जियों को कम तापमान के दिनों में भी बढ़वार करने में सफलता मिलती है।
इस तकनीक से फसल उत्पादन में कीट एवं बीमारियों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम होता है।
प्लास्टिक टनल संरचना ग्रीन हाउस जैसा प्रभाव पैदा करती है। जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड अधिक रहने से पौधों में प्रकाश संश्लेषण किया अधिक होती है।
राजस्थान सरकार द्वारा देय सब्सिडी
किसान द्वारा अपने खेत में उद्यान विभाग द्वारा सूचीबद्ध विक्रेताओं से बागवानी फसलों में लो—टनल उपयोग करने पर अनुमानित लागत 60 रुपये प्रति वर्गमीटर या पंजीकृत फर्म की विक्रय दर दोनों में जो भी कम हो, का 50 प्रतिशत की दर से अनुदान दिया जाता है। एक किसान को अधिकतम वर्ग मीटर तक अनुदान देय है।
आवश्यक दस्तावेज
आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, जमाबंदी की नकल (6 माह से अधिक पुरानी नहीं हो), मिट्टी व पानी की जांच रिपोर्ट, अनुमोदित फर्म का कोटेशन एवं सिंचाई स्रोत का प्रमाण आदि।