#TheKashmirFiles, #GujaratFiles
बौद्धिक वर्ग की टकरार
हर और तर्क-कुतर्क क्यों?
अतीत के गर्भ में झांकना, क्यों?
शायद, सरकारें कमजोर रही
कभी धर्म को प्रधानता देती है
तो कभी एक वर्ग को सर्वोपरि मानती है
बस, यही समय पाकर
नासूर बन जाता है।
बस यही था
यही है सर्वत्र सत्य।
कमजोर, एक परिवार में भी होता है
कमजोर, एक वंश में भी होता है
कमजोर, एक जाति में भी होता है
कमजोर, एक धर्म में भी होता है
कमजोर, राष्ट्र भी होते हैं,
क्यों?
क्योंकि सम्पत्ति पर अधिकार चतुर-चालक, नकारात्मक महत्वाकांक्षी ही करते हैं।
और शोषण आमजन का करते हैं
हां, एक ही मां की संतानें लड़ती हहैं
क्यों?
सम्पत्ति के बंटवारे को लेकर
खून के प्यासे हो जाते हैं, क्यों?
तब
न धर्म अलग होता है
न जाति अलग होती है
न वंश अलग होता है
न परिवार अलग होता है
बस, प्रबल होता है निज स्वार्थ।
हारती तो हमेशा वो जननी है।
जिसने हमें पनाह दी है।।
-राकेश सिंह राजपूत
दोस्तों,
आज हम उस दौर में जी रहे हैं जहां एक ओर विज्ञान की सत्यता है तो दूसरी और धर्म, जाति, विचारधाराओं के भ्रम में आकर मानव-मानव का दुश्मन बन रहा है।