- एटली की घोषणा एवं माउण्टबेटन योजना
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने 20 फरवरी 1947 को हाउस ऑफ कॉमन्स में घोषणा की कि जून 1947 तक भारतीयों को सत्ता सौंप देंगे।
- माउण्टबेटन को वायसराय बना।
- 3 जून को माउण्ट बेटन ने भारत के विभाजन के साथ सत्ता हस्तांतरंण की योजना प्रस्तुत की।
- स्वतंत्रता एवं विभाजन से संबद्ध इस योजना को प्लान बाल्कन के नाम से भी जाना जाता है।
माउण्टबेटन योजना के मुख्य प्रावधान
- 15 अगस्त, 1947 से भारत में दो अधिराज्यों की स्थापना हो जाएगी तथा उन्हें सभी शक्तियां सौंप दी जाएंगी।
- दोनों अधिराज्यों को प्रभुत्व सम्पन्न घोषित कर उन्हें अपने-अपने संविधान निर्माण का अधिकार दिया गया।
- सिंध, उत्तर-पूर्वी सीमा प्रान्त, पश्चिमी पंजाब, पूर्वी बंगाल, बलूचिस्तान तथा असम के सिलहट जिला को छोड़कर सभी प्रान्त भारत में शामिल होंगे।
- पंजाब एवं बंगाल के बंटवारे के लिए रेडक्लिफ आयोग की स्थापना की जाएगी।
- दोनों अधिराज्यों के मंत्रिमंडलों के सुझाव पर गवर्नर-जनरल को संवैधानिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया जाना था।
- 15 अगस्त से भारत मंत्री और इंडिया ऑफिस समाप्त होने थे।
- उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त तथा असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह द्वारा पता लगाया जाना था कि वह किसके साथ जाना चाहते हैं।
- भारतीय राजाओं को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने की इजाजत दी गयी। उनके पास स्वतंत्र रहने का कोई विकल्प नहीं था।