परमाणु के मौलिक कण
(i) इलेक्ट्रॉन (Electron): इलेक्ट्रॉन की खोज का श्रेय जे० जे० टॉम्सन को है। इलेक्ट्रॉन एक ऐसा कण है, जिसका द्रव्यमान लगभग शून्य होता है तथा जिस पर इकाई ऋण आवेश रहता है।
(ii) प्रोटॉन (Proton): परमाणु के अंदर प्रोटॉन एक ऐसा सूक्ष्म कण है, जिसका सापेक्ष द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है और इस पर इकाई धन आवेश रहता है। परमाणु में धन आवेश युक्त इस कण की खोज का श्रेय गोल्डस्टीन को है।
(iii) न्यूट्रॉन (Neutron): परमाणु के अंदर न्यूट्रॉन एक ऐसा सूक्ष्म कण है, जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है, लेकिन इस पर कोई आवेश नहीं होता है। अर्थात् न्यूट्रॉन एक उदासीन कण है। न्यूट्रॉन की खोज 1932 ई० में चैडविक ने बेरीलियम धातु पर α-कणों से आघात कराकर की।
परमाणु संख्या (Atomic Number): किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित इकाई धन आवेशों की कुल संख्या या उस तत्व के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को उस तत्व की परमाणु संख्या कहते हैं। इसे Z से सूचित किया जाता है। किसी तत्व की परमाणु संख्या उस तत्व का मौलिक गुण होता है।
द्रव्यमान संख्या (Mass Number): किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्याओं के योगफल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहते हैं। नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों के योग को न्यूक्लिऑन (Nucleon) कहा जाता है।
अतः द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉन की संख्या (p) + न्यूट्रॉन की संख्या (n)
= न्यूक्लिऑनों की कुल संख्या या
A = n + p
समस्थानिक (Isotopes): एक ही तत्व के वे परमाणु जिनकी परमाणु संख्याएँ समान, किन्तु द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।
किसी तत्व के विभिन्न समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होने का कारण यह है कि उनके नाभिक में प्रोटॉन की संख्या समान होती है, किन्तु उनके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न होने के कारण उनकी द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
उदाहरण- (i) हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं, जिसकी परमाणु संख्या 1 किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्याएँ क्रमशः 1, 2 और 3 होती हैं।
1H1 (प्रोटियम) 1H2 (ड्यूटेरियम) 1H3 (ट्राइटियम)
हाइड्रोजन के इन तीनों समस्थानिकों के परमाणु में 1 प्रोटॉन और 1 इलेक्ट्रॉन रहते हैं, किन्तु इसमें न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमशः 0, 1 और 2 होती हैं।
(ii) कार्बन के दो समस्थानिक होते हैं, जिनकी परमाणु संख्या 6 तथा द्रव्यमान संख्याएँ 12 और 14 होती हैं। 6C12 तथा 6C14
समस्थानिकों के गुण: समस्थानिकों के निम्नलिखित गुण होते हैं-
(i) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के भौतिक गुण प्रायः भिन्न-भिन्न होते हैं।
(ii) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं।
(iii) किसी तत्व के सभी समस्थानिक आवर्त सारणी में एक ही स्थान ग्रहण करते हैं।
(iv) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
नोट:
(i) समस्थानिक (Isotopes) एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक समान स्थान (आइसो= समान तथा टोपस = स्थान)
(ii) हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा तत्व है, जिसक सभी समस्थानिकों को अलग-अलग नाम हैं।
(iii) पोलोनियम सर्वाधिक समस्थानिकों वाला तत्व है।
(iv) हाइड्रोजन का समस्थानिक ट्राइटियम (1HP3) रेडियोसक्रियता का गुणप्रदर्शित करता है।
समभारिक (Isobars): वे तत्व जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ एक ही, किन्तु परमाणु संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समभारिक कहलाते हैं। समभारिकों की परमाणु संख्या में भिन्नता का कारण है, उन तत्वों के नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या का भिन्न-भिन्न होना। समभारिक एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, समान भारी (Iso = समान, Bars = भारी)
उदाहरण- (i) ऑर्गन (18Ar40), पोटैशियम (19K40) तथा कैल्सियम (20Ca40) समभारिक हैं, क्योंकि इन तीनों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
(ii) नाइट्रोजन (7N14) तथा कार्बन (6C14) समभारिक हैं, क्योंकि इन दोनों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
(iii) सोडियम (11Na24) तथा मैग्नीशियम (12Mg24) समभारिक हैं, क्योंकि इनकी द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
समभारिक के गुण: समभारिक के निम्नलिखित गुण होते हैं-
(i) समभारिकों के अधिकांश भौतिक गुण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
(ii) समभारिकों के रासायनिक गुण एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न होते हैं।
(iii) समभारिकों के वे भौतिक गुण एक समान होते हैं, जो परमाणु द्रव्यमान पर निर्भर करते हैं।
नोट: रेडियोसक्रिय तत्वों के β कणों के उत्सर्जन से समभारिक बनते हैं।
समन्यूट्रॉनिक (Isotones): वे तत्व जिनकी परमाणु संख्या एवं द्रव्यमान संख्या दोनों भिन्नभिन्न हों, किन्तु जिनके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या समान हो, समन्यूट्रॉनिक कहलाते हैं।
उदाहरण-
(i) फॉस्फोरस (15P31) तथा सल्फर (14S30) समन्यूट्रॉनिक हैं, क्योंकि इनमें से प्रत्येक के नाभिक में 16 न्यूट्रॉन हैं।
(ii) वेनेडियम (23V51) तथा क्रोमियम (24Cr52) भी समन्यूट्रॉनिक हैं, क्योंकि इन दोनों के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या 28 है।
समइलेक्ट्रॉनिक (Isoelectronic): वे आयन जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, समइलेक्ट्रॉनिक आयन कहलाते हैं । उदाहरण- Na+, Mg++, F- आदि समइलेक्ट्रॉनिक आयन हैं, क्योंकि इनमें से प्रत्येक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 10 है।
(i) इलेक्ट्रॉन (Electron): इलेक्ट्रॉन की खोज का श्रेय जे० जे० टॉम्सन को है। इलेक्ट्रॉन एक ऐसा कण है, जिसका द्रव्यमान लगभग शून्य होता है तथा जिस पर इकाई ऋण आवेश रहता है।
(ii) प्रोटॉन (Proton): परमाणु के अंदर प्रोटॉन एक ऐसा सूक्ष्म कण है, जिसका सापेक्ष द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है और इस पर इकाई धन आवेश रहता है। परमाणु में धन आवेश युक्त इस कण की खोज का श्रेय गोल्डस्टीन को है।
(iii) न्यूट्रॉन (Neutron): परमाणु के अंदर न्यूट्रॉन एक ऐसा सूक्ष्म कण है, जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है, लेकिन इस पर कोई आवेश नहीं होता है। अर्थात् न्यूट्रॉन एक उदासीन कण है। न्यूट्रॉन की खोज 1932 ई० में चैडविक ने बेरीलियम धातु पर α-कणों से आघात कराकर की।
परमाणु संख्या (Atomic Number): किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित इकाई धन आवेशों की कुल संख्या या उस तत्व के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को उस तत्व की परमाणु संख्या कहते हैं। इसे Z से सूचित किया जाता है। किसी तत्व की परमाणु संख्या उस तत्व का मौलिक गुण होता है।
द्रव्यमान संख्या (Mass Number): किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्याओं के योगफल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहते हैं। नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों के योग को न्यूक्लिऑन (Nucleon) कहा जाता है।
अतः द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉन की संख्या (p) + न्यूट्रॉन की संख्या (n)
= न्यूक्लिऑनों की कुल संख्या या
A = n + p
समस्थानिक (Isotopes): एक ही तत्व के वे परमाणु जिनकी परमाणु संख्याएँ समान, किन्तु द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।
किसी तत्व के विभिन्न समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होने का कारण यह है कि उनके नाभिक में प्रोटॉन की संख्या समान होती है, किन्तु उनके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न होने के कारण उनकी द्रव्यमान संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
उदाहरण- (i) हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं, जिसकी परमाणु संख्या 1 किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्याएँ क्रमशः 1, 2 और 3 होती हैं।
1H1 (प्रोटियम) 1H2 (ड्यूटेरियम) 1H3 (ट्राइटियम)
हाइड्रोजन के इन तीनों समस्थानिकों के परमाणु में 1 प्रोटॉन और 1 इलेक्ट्रॉन रहते हैं, किन्तु इसमें न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमशः 0, 1 और 2 होती हैं।
(ii) कार्बन के दो समस्थानिक होते हैं, जिनकी परमाणु संख्या 6 तथा द्रव्यमान संख्याएँ 12 और 14 होती हैं। 6C12 तथा 6C14
समस्थानिकों के गुण: समस्थानिकों के निम्नलिखित गुण होते हैं-
(i) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के भौतिक गुण प्रायः भिन्न-भिन्न होते हैं।
(ii) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं।
(iii) किसी तत्व के सभी समस्थानिक आवर्त सारणी में एक ही स्थान ग्रहण करते हैं।
(iv) किसी तत्व के सभी समस्थानिकों के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
नोट:
(i) समस्थानिक (Isotopes) एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक समान स्थान (आइसो= समान तथा टोपस = स्थान)
(ii) हाइड्रोजन ही एकमात्र ऐसा तत्व है, जिसक सभी समस्थानिकों को अलग-अलग नाम हैं।
(iii) पोलोनियम सर्वाधिक समस्थानिकों वाला तत्व है।
(iv) हाइड्रोजन का समस्थानिक ट्राइटियम (1HP3) रेडियोसक्रियता का गुणप्रदर्शित करता है।
समभारिक (Isobars): वे तत्व जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ एक ही, किन्तु परमाणु संख्याएँ भिन्न-भिन्न होती हैं, समभारिक कहलाते हैं। समभारिकों की परमाणु संख्या में भिन्नता का कारण है, उन तत्वों के नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या का भिन्न-भिन्न होना। समभारिक एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है, समान भारी (Iso = समान, Bars = भारी)
उदाहरण- (i) ऑर्गन (18Ar40), पोटैशियम (19K40) तथा कैल्सियम (20Ca40) समभारिक हैं, क्योंकि इन तीनों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
(ii) नाइट्रोजन (7N14) तथा कार्बन (6C14) समभारिक हैं, क्योंकि इन दोनों की द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
(iii) सोडियम (11Na24) तथा मैग्नीशियम (12Mg24) समभारिक हैं, क्योंकि इनकी द्रव्यमान संख्याएँ समान हैं।
समभारिक के गुण: समभारिक के निम्नलिखित गुण होते हैं-
(i) समभारिकों के अधिकांश भौतिक गुण एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
(ii) समभारिकों के रासायनिक गुण एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न होते हैं।
(iii) समभारिकों के वे भौतिक गुण एक समान होते हैं, जो परमाणु द्रव्यमान पर निर्भर करते हैं।
नोट: रेडियोसक्रिय तत्वों के β कणों के उत्सर्जन से समभारिक बनते हैं।
समन्यूट्रॉनिक (Isotones): वे तत्व जिनकी परमाणु संख्या एवं द्रव्यमान संख्या दोनों भिन्नभिन्न हों, किन्तु जिनके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या समान हो, समन्यूट्रॉनिक कहलाते हैं।
उदाहरण-
(i) फॉस्फोरस (15P31) तथा सल्फर (14S30) समन्यूट्रॉनिक हैं, क्योंकि इनमें से प्रत्येक के नाभिक में 16 न्यूट्रॉन हैं।
(ii) वेनेडियम (23V51) तथा क्रोमियम (24Cr52) भी समन्यूट्रॉनिक हैं, क्योंकि इन दोनों के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या 28 है।
समइलेक्ट्रॉनिक (Isoelectronic): वे आयन जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है, समइलेक्ट्रॉनिक आयन कहलाते हैं । उदाहरण- Na+, Mg++, F- आदि समइलेक्ट्रॉनिक आयन हैं, क्योंकि इनमें से प्रत्येक में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 10 है।