बौद्धिक सम्पदा (आई पी) मानव बुद्धि की सृष्टि है। इसका तात्पर्य, विचारों, जानकारी, अविष्कार, पुनरूद्धार, सृजनात्मकता अनुसंधान आदि हैं, चूंकि सभी मानव मस्तिष्क की उपज हैं और किसी सम्पत्ति के समान हैं, चाहे चल अथवा अचल जहां कर्ताधर्ता या स्वामी अपनी इच्छानुसार सम्पत्ति की विशिष्ट उपयोग कर सकता है और उसकी अनुमति के बिना दूसरों को इसका उपयोग करने से रोकने का अधिकार है। बौद्धिक सम्पदा से संबंधित अधिकारों को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के रूप में जाना जाता है।
बौद्धिक सम्पदा का अधिकार अवेषक या सृजक को विशिष्ट अधिकार प्रदान करने के लिए अधिकाधिक लोगों को ऐसे पुनरूद्धार और सृजन में समय प्रयास और धन का निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है। प्रथागत रूप से बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को दो मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है :-
कॉपीराइट और कॉपीराइट से संबंधित अधिकार :- साहित्यिक और कलात्मक कार्यों (जैसे पुस्तक और अन्य लेखन संगीत संकलन, चित्रकारी, मूर्तिकला, कम्प्यूटर प्रोग्राम और फिल्म) के लेखकों के अधिकारों को कॉपीराइट द्वारा संरक्षण दिया जाता है। संबंधित और इसके सन्निकट अधिकारों के लिए भी संरक्षण की गारंटी दी जाती है जैसे अभिनय (निष्पादन) का अधिकार (उदाहरण के लिए अभिनेता, गायक और संगीतकार), फोनोग्राम के निर्माता (ध्वनि रिकार्डिंग) और प्रसारण संगठन।
औद्योगिक सम्पत्ति जिसे दो मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जाता हैं :-
एक क्षेत्र में विशिष्ट प्रतीकों का संरक्षण किया जाता है विशेष रूप से व्यापार चिन्ह (जो एक उपक्रम के माल या उसकी सेवाओं को दूसरे उपक्रमों के माल एवं उनकी सेवाओं से अलग करता है) और भौगोलिक संकेत देता है (जो एक निश्चित स्थान में उत्पादित माल के रूप में अभिचिन्हांकित करता है जहां माल की विशेषता इसके भौगोलिक मूल को अनिवार्य रूप से परिलक्षित करती हैं)।
अन्य प्रकार की औद्योगिक सम्पदा का संरक्षण मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी के पुनरुद्धार, डिजाइन और सृजन को अभिप्रेरित करने के लिए दिया जाता है। इस श्रेणी में अविष्कार (जिसका संरक्षण पेटेन्ट द्वारा किया जाता है) औद्योगिक डिजाइन और व्यापार गोपनीयता शामिल हैं।
बौद्धिक सम्पदा अधिकार का मुद्दा विश्व व्यापार संगठन द्वारा अंतरराष्ट्रीय वार्ता के मंच पर अपने बौद्धिक सम्पदा अधिकार की व्यापार संबंधी पहलुओं संबंधी करार के माध्यम से लाया गया था। यह करार विश्व भर में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (आई पी आर) के संरक्षण और प्रवर्तन के विस्तार में मौजूदा मतभेदों को, उनके साझा न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय सहमत व्यापार मानकों के अंतर्गत लाने के द्वारा कम किया है। सदस्य देशों से निर्धारित समय ढांचा के अंतर्गत हम मानकों को अनुपालन करेन की अपेक्षा की जाती है। भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की व्यापार संबंधी पहलुओं का हस्ताक्षर कर्ता होने के नाते अपने बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के लिए सुस्पष्ट प्रशासनिक और कानूनी ढांचा विकसित किया है।
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