आओ, हम समभावी बनें,
सबका समान विकास करें।
लोकतंत्र में,
संविधान की गरिमा में,
आओ, मुहिम एक व्यक्ति, एक पद, एक व्यवसाय की चलाएं।
हम समभावी बनेंगे,
तभी हर हाथ काम मिलेगा,
तभी कोई बचपन बालश्रम की भेंट न चढ़ेगा।
आओ, हम समभावी बनें,
सबका समान विकास करें।
बहुत चिंतित रहता है बौद्धिक वर्ग,
शोषण, उत्पीड़न, बालश्रम को लेकर
क्यूं ना मेहनताने में अंतर सूक्ष्म हो,
तभी हम समानता ला पाएंगे।
सबको आय का समान अधिकार तभी मिलेगा
जब आय में सूक्ष्म अंतर होगा
वरन वही एक राजा तो एक रंक होगा
और बौद्धिक वर्ग का चिंतन व्यर्थ रहेगा
आओ, हम समभावी बनें,
सबका समान विकास करें।
जितना हम अपने अधिकारों के बारे में सजग रहते हैं उतना ही दूसरों को हक देना सीखें।
Rakesh Singh Rajput