- भारत ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की सुरक्षा के लिए वर्ष 2003 में यूनेस्को अभिसमय की पुष्टि की।
- अभिसमय का उद्देश्य है- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित करना और यह सुनिश्चित करना कि समुदाय/समूह/संबंधित व्यक्ति इसका सम्मान करें।
- साथ ही, इसकी महत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विरासत की इन वस्तुओं के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहायता की व्यवस्था करना।
इस सूची में भारत के 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
वर्ष 2008
वैदिक पाठ की परंपरा
कुटियट्टम: संस्कृत रंगमंच
वर्ष 2009
- रम्मन: गढ़वाल (उत्तराखंड) का धार्मिक महोत्सव और पारंपरिक रंगमंच (अनुष्ठान थियेटर), यह हर साल अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है
। - नौरोज या नौवरूज
वर्ष 2010
- कालबेलिया: राजस्थान का लोक गीत और नृत्य। इसे कालबेलिया जाति द्वारा किया जाता है। इसकी प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबो है।
- मुदियेत्तू: अनुष्ठान थियेटर और नृत्य, केरल
- छऊ नृत्य
वर्ष 2012
- लद्दाख का बौद्ध मंत्रोचार (पार हिमालयी लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर
वर्ष 2013
- संकीर्तन, मणिपुर का अनुष्ठान गायन, ढोल वादन और तृत्य
- जंडियाला गुरु पंजाब के ठठेरा
- योग
- कुंभ मेला
- दुर्गा पूजा को 2020 के लिए आईसीएच की उपरोक्त प्रतिनिधि सूची पर उत्कीर्ण करने के लिए नामित किया गया है।