वर्षों से मैं रामचरितमानस की इस पंक्ति का मनन करता हूं और खुद की कमियों का मंथन कर उन्हें दूर करता हूं। ये पंक्तियां रामचरितमानस की है अवश्य, किंतु मानव जीवन में बहुत उपयोगी है। यदि परिवार के सदस्य या सभी लोग मिलकर मंथन करें कि परिवार में कहां हम गलती कर रहे हैं या मानवीय समाज में कहां गलत हो रहा है मिलकर समाधान करें तो निश्चित रूप से हम प्रगति के पथ बढ़ सकते हैं।
यानी हम आपस में बिना किसी कारण के लड़ेंगे नहीं और हमारे सामने जो भी समस्या है उसका मिलकर समाधान ढूंढे तो निश्चित ही उसका हल होगा। और यदि बिना किसी कारण के ही एक-दूजे को नीचा दिखाने, प्रतिशोध लेने के लिए लड़ते रहे तो हम कभी भी प्रगति के पथ पर नहीं बढ़ेंगे।