14 साल हो गए जयपुर में इन्दिरा गांधी नगर 2 सेक्टर में रहते हुए। क्या बदला कुछ तो नहीं। वही सून मकान जो गरीबों के लिए बने थे, उनमें कोई जरूरतमंद एवं ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति आकर नहीं बसा क्योंकि उन्हें तो इस सरकार की इस योजना का पता तक नहीं था। इस योजना में तो उन लोगों ने फार्म भरे थे जिनके पहले से जयपुर में मकान मौजूद थे। हां, 2007 से मैं यही देख रहा हूं। अभी भी 30 प्रतिशत मकान खाली पड़ें हैं।
ये तस्वीरें इंदिरा गांधी नगर का सेक्टर 9 की है, जहां अभी भी 70 प्रतिशत तक खाली पड़े हैं, कभी सरकार ने आकर नहीं देखा की क्यों इन मकानों में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति आकर नहीं रहा, क्या ये लोग वास्तव में इन मकानों के हकदार हैं।
शायद, नहीं?
क्योंकि ये मकान उन लोगों के निकले हैं जिन्होंने बेच दिए या कुछ बेचने की फिराक में है। अब ये मकान दलाल के बिना खरीदे नहीं जा सकते हैं।
चलो, दलालों के माध्यम से भी खरीद लें, किंतु कोई भी दलाल रजिस्टर्ड नहीं है। वे सरकार की निगाहों में वैध नहीं है। और शायद सरकार ने भी इन्हें अभी तक वैध बनाने के बारे में नहीं सोचा है।
इन्हें वैध करना चाहिए ताकि सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो सके।
अगर सरकार ऐसा करेगी तो कई मजबूर व्यक्ति मनमानी लूट से बच जाएंगे।
मैं राज्य सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि प्रदेश के प्रॉपर्टी डीलरों/दलालों पर नकेल कसे ताकि प्रतिवर्ष अरबों रुपए की संपत्ति बिकाने वाले दलालों से राजस्व प्राप्त हो सके।
ये दलाल लोगों से 2 प्रतिशत तक की दलाली लेते हैं जिसका कोई जिक्र नहीं होता है।
अगर मान लीजिए 15 लाख या 50 लाख या करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी डील में 30 हजार, 1 लाख और अधिक तक की कमाई होती है जिस पर ये कोई टैक्स नहीं देते हैं।
अत: इन पर सरकार को टैक्स वसूलना चाहिए ताकि गली—गली में दुकान लेकर बैठने वाले दलालों पर नकेल कसी जा सके।
गरीबों का हक दिलाए सरकार
प्रदेश के गरीबों का मकान का सपना कब पूरा होगा, ये तो नहीं जानते परंतु इंदिरा गांधी नगर में अमीर व नौकरी पेशा व्यक्तियों ने पूरी तरह कब्जा कर रखा है। इस बात को ये तस्वीरें बयां कर रही है। जो पिछले 13 सालों से खाली पड़े हैं।
मैं इन्हें इसी तरह खाली देख रहा हूं इनके आगे पेड़—पौधे उग चुके हैं।
सरकार को चाहिए कि इन्हें जरूरतमंद एवं गरीबों को दें।