ग्रामीण क्षेत्र में शहरी सुविधाएं उपलब्ध करवाना
वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने PURA की अवधारणा रखी इसका मुख्य उद्देश्य शहरी पर ग्रामीण जीवन में विद्यमान असंतुलन को दूर करना है इस अवधारणा में निम्न चार क्षेत्रों में सुधार करने का प्रयास किया गया सड़क परिवहन और विद्युत विश्व स्तरीय दूरसंचार पर इंटरनेट बेहतर शैक्षिक शैक्षणिक संस्थाओं का निर्माण ग्रामीण क्षेत्र में बाजार का विकास ऐसा मानना था कि इन बुनियादी सुविधाओं के विकास से ग्रामीण जीवन स्तर सुधरेगा ओवर शहरों की तरफ हो रहे प्लेन में कमी आएगी।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना इस योजना को 2005 में अधिनियमित किया गया एवं 2006 में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के बांदा वाली गांव से प्रारंभ 2 फरवरी, 2006 को हुआ। इसका प्रारंभ केंद्र सरकार के ग्रामीण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के माध्यम से होता है इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के सदस्य एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन आदिवासी क्षेत्रों में 150 दिन का रोजगार अकुशल श्रमिकों को उपलब्ध करवाया जाएगा इस योजना में काम के बदले अनाज एवं संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का विलय किया गया है इसमें एक वडे त्रिनिटी 30% रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है इसमें समय पर रोजगार गारंटी पर 15 दिन में मजदूरों के भुगतान का प्रावधान किया गया है किस प्रकार की काम संपन्न होंगे यह निर्णय ग्रामसभा का होता है। पंचायती राज संस्थाओं का को कार्य निष्पादन से संबंधित निरीक्षण का अधिकार दिया गया है। इस योजना के प्रमुख लक्षण लिखित हैं रोजगार के अवसर पर आकर गरीबी में कमी करना ग्रामीण भारत की प्राकृतिक संसाधनों से जल संरक्षण भूमि का कटाव जंगल की कटाई आदि को रोककर इनका संरक्षण करना गरीबों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना क्योंकि मजदूरी का भुगतान बैंक या डाकघर से किया जाता है। साथ ही मनरेगा श्रमिकों को जनश्री बीमा योजना के माध्यम से बीमा कवर भी प्रदान किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र की ओर रोने वाले पलायन को रोकने में केंद्र व राज्य सरकार का 90:10 का अनुपात है। इस योजना का प्रतिपादक रिजवान ड्रेस अर्थशास्त्र बेल्जियम था नाम मनरेगा 2 अक्टूबर 2008 को कमियां केयर उत्पादन कारी कारी वीडियो में श्रमिकों को लगाना व्यापक रूप से भ्रष्टाचार का पाया जाना कृषि की लागत में वृद्धि उत्तरदायित्व का आवास ग्रामीण मजदूर वर्ग का नैतिक पतन