नई
रोशनी योजना
केंद्रीय
नीति आयोग द्वारा
2015-16 में, अल्पसंख्यक
महिलाओं के नेतृत्व विकास
के लिये कार्यरत ‘नई रोशनी’
योजना पर एक मूल्यांकन
अध्ययन किया गया, जिस पर जून 2016 में
एक रिपोर्ट तैयार की गई|
प्रमुख
बिंदु
इस
मूल्यांकन अध्ययन का मुख्य उद्देश्य
अल्पसंख्यक महिलाओं पर इस योजना
के प्रभाव का आकलन करना
और योजना के कार्यान्वयन में
विद्यमान नीतिगत बाधाओं की पहचान करना
है।
अध्ययन
में 8 राज्यों (असम, पश्चिम
बंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्र
प्रदेश, केरल, राजस्थान
और उत्तर प्रदेश) के 15 ज़िलों, 30 प्रखंडों, 87 गाँवों और 27 गैर-सरकारी संगठनों को शामिल किया
गया है।
नीति
आयोग के अनुसार, "इस
योजना के कार्यान्वयन में
कुछ बाधाओं के बावजूद इस
अध्ययन के निष्कर्षों से
संकेत मिलता है कि इस
कार्यक्रम को जनता और
समाज के द्वारा सराहा
गया है|
इस
योजना ने अल्पसंख्यक समुदाय
की महिलाओं के विकास तथा
उनमें नेतृत्व की भावना को
विकसित करने में सहायता प्रदान की है।
प्रशिक्षित
महिलाएँ अपने समृद्ध ज्ञान का सार्थक प्रयोग,
अपने आस-पड़ोस के
लोगों को उनकी मूलभूत
सुविधाओं को जुटाने और
विभिन्न सरकारी अधिकारियों के सम्मुख दावों
को प्रस्तुत करने में मदद देकर कर सकती हैं|
दिशा-निर्देशों में एक परियोजना में
25% गैर-अल्पसंख्यक महिलाओं की कवरेज की
भी अनुमति है।
नई
रोशनी योजना पर जागरूकता के
संबंध में पहले से ही पूर्वोत्तर
राज्यों सहित सभी राज्यों के ऑल इंडिया
रेडियो नेटवर्क और दूरदर्शन के
राष्ट्रीय नेटवर्क पर नियमित रूप
से एक ऑडियो और
एक विडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है।
योजना
में "महिलाओं के कानूनी अधिकारों"
पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल
पहले से ही शामिल
है।
रिपोर्ट
की सिफारिशों में शामिल महत्त्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं
अनुभव
की कसौटी या किसी अन्य
योग्यता मानदंड में छूट
महिला
प्रशिक्षुओं में से कम योग्य
और जागरूक का चयन
वित्तीय
नियमों में संशोधन
इस
योजना के बारे में
अधिक जागरूकता कार्यक्रम करना
प्रशिक्षण
कार्यक्रम में सामान्य वर्ग की महिलाओं को
शामिल करना
प्रशिक्षण
के दिनों की संख्या में
वृद्धि करना
महिलाओं
के हितों की रक्षा कानून
पर प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास
प्रशिक्षण
मॉड्यूल में विकलांग व्यक्तियों के लिये प्रावधान
इत्यादि|
नई
रोशनी योजना
अल्पसंख्यक
महिलाओं को सशक्त बनाने
और उनमें आत्मविश्वास पैदा करने, सभी स्तरों पर ज्ञान तथा
नेतृत्व विकास के उद्देश्य से
वर्ष 2012-13 में नई रोशनी योजना
शुरू की गई थी|
गौरतलब है कि इस
योजना का क्रियान्वयन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के माध्यम से
किया जा रहा है।
वस्तुअतः वर्ष 2012-13 में इस योजना की शुरुआत के
बाद से अल्पसंख्यक महिलाओं
में नेतृत्व विकास के लिये वर्ष
2012-13 से
2014-15 के दौरान 166050 महिलाओं को प्रशिक्षित किया
गया|
वर्तमान
में, योजना को और अधिक
कारगर बनाने के लिये सरकार
द्वारा कार्यान्वयन एजेंसियों से प्राप्त फीडबैक
के आधार पर आवश्यकता आधारित
प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने, जन सहयोग के
लिये राष्ट्रीय संस्थान एवं बाल विकास मॉड्यूल तैयार करने के अलावा,
ऑनलाइन आवेदन और मंजूरी की
प्रक्रिया के क्रम में
इसे और अधिक पारदर्शी
बनाने के लिये प्रयास
किया जा रहा है|
दिव्यांगजन
अधिकार विधेयक, 2014
देश
की एक बड़ी आबादी
विकलांगताता की शिकार है|
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत
में 2.68 करोड़ (2.21%) दिव्यांग लोग हैं, हालाँकि कुछ अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी
के अनुसार देश में दिव्यांगों की आबादी कुल
आबादी के 5 % से अधिक होने
की संभावना हैं| उल्लेखनीय है कि पिछले
कुछ वर्षों से दिव्यांगजनों के
प्रति समाज के नज़रिये में
काफी बदलाव आया है| सरकार ने भी अब
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार आधारित
आर्थिक सशक्तीकरण पर ध्यान केन्द्रित
किया है| भारत में दिव्यांगों की बड़ी संख्या
को मद्देनज़र रखते हुए 14 दिसम्बर को राज्यसभा द्वारा
“ दिव्यांगजन अधिकार विधेयक, 2014 को
सर्वसम्मति से स्वीकार कर
लिया गया है|
प्रमुख
बिंदु
ध्यातव्य
है कि भारत में
वर्ष 1995 के दिव्यांग व्यक्ति
अधिनियम (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण तथा
पूर्ण सहभागिता) के लागू होने
के साथ ही उनके अधिकार
आधारित आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में
पहला कदम बढाया गया| इस दिशा में
दूसरा कदम, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर
संयुक्त राष्ट्र समझोते के रूप में
सामने आया|
दिव्यांगजन
अधिकार विधेयक, 2014
इस
विधेयक के अंतर्गत वर्णित
कुछ महत्त्वपूर्ण प्रावधानों में शामिल हैं:
दिव्यांगजनों
के लिये आवश्यक सुगम्यता को अनिवार्य करना|
प्रस्तावित
लाभार्थी श्रेणियों की संख्या को
7 से बढ़ाकर 19 करना, जिनमें सेरिब्रल पाल्सी, हीमोफीलिया, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, ऑटिज्म और थेलेसीमिया को
भी शामिल किया गया है|
नए
विधेयक में 21 नई विकलांगताओं को
शामिल किया गया है|
संशोधन
समिति की सिफारिश के
बाद एसिड अटैक पीडिता तथा पार्किंसन पीड़ितों को भी इसमें
शामिल किया गया है|
कम-से-कम 40 प्रतिशत
विकलांगता वाले व्यक्तियों को भी इस
विधेयक के तहत कुछ
विशेष लाभ की पात्रता में शामिल
करना निर्धारित किया गया है।
प्रतिशत
आरक्षण के प्रस्ताव को
बढाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया
है|
40 प्रतिशत
से अधिक दिव्यांगजनों को नौकरी, शिक्षा
तथा सरकारी योजनाओं में आरक्षण का प्रावधान किया
गया है|
विधेयक
में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों
के अभिभावक बनने को लेकर स्पष्ट
प्रावधान किये गए हैं|
इस
विधेयक के अंतर्गत
सभी सार्वजनिक एवं निजी भवनों, अस्पतालों और परिवहन के
साधनों, मतदान केंद्रों आदि स्थानों पर दिव्यांगों के
अनुकूल सुगम्यता उपलब्ध कराने का भी प्रावधान
सुनिश्चित किया गया है।
ध्यातव्य
है कि इस विधेयक
के किसी भी प्रावधान का
उल्लंघन करना कानून के अंतर्गत दंडनीय
अपराध माना जाएगा। दिव्यांगों से भेदभावपूर्ण व्यवहार
करने पर अब 6 महीने
से 2 साल तक की सज़ा
तथा 10 हज़ार से पाँच लाख
रुपए तक के जुर्माने
का प्रावधान किया गया है|
दिव्यांगजनों
के लिए चलाई जा रही विभिन्न
योजनाएँ
सुगम्य
भारत अभियान
दिव्यांगजनों
को सशक्त बनाने के उद्देश्य से
भारत सरकार द्वारा 15 दिसंबर, 2015 को सुगम्य भारत
अभियान का शुभारंभ किया
गया|
इस
अभियान का उद्देश्य दिव्यांगजनों
के लिये एक सक्षम और
बाधारहित वातावरण सुनिश्चित करना है। इस अभियान के
तहत तीन प्रमुख उद्देश्यों- विद्यमान वातावरण में सुगम्यता सुनिश्चित करना, परिवहन प्रणाली में सुगम्यता तथा ज्ञान एवं आईसीटी के माध्यम से
दिव्यांगो को सशक्त बनाना
शामिल हैं।
सुगम्य
पुस्तकालय
सरकार
द्वारा इस वर्ष अगस्त
माह में एक ऑनलाइन मंच
“सुगम्य पुस्तकालय” की शुरुआत की
गई है, जहाँ दिव्यांगजन इन्टरनेट के माध्यम से
पुस्तकालय से संबद्ध सभी
प्रकार की उपयोगी पुस्तकों
को पढ़ सकते हैं।
नेत्रहीन
व्यक्तियों के लिये अलग
से व्यवस्था की गई है|
सुगम्य पुस्तकालय में नेत्रहीन व्यक्ति भी अपनी पसंद
के किसी भी उपकरण जैसे-
मोबाइल फोन, टैबलेट, कम्प्यूटर, डैजी प्लेयर इत्यादि के माध्यम से
ब्रेल डिस्पले पर ब्रेल लिपि
के साथ - साथ साधारण फॉण्ट में भी पुस्तकें पढ़
सकते हैं।
इतना
ही नहीं, ब्रेल प्रेस वाले संगठन के सदस्य के
जरिये ब्रेल लिपि में भी प्रति मंगवाने
के लिये अनुरोध किया जा सकता है।
यूडीआईडी
कार्ड
हाल
ही में भारत सरकार ने वेब आधारित
असाधारण दिव्यांग पहचान (यूडीआईडी) कार्ड शुरू करने का प्रस्ताव किया
है।
इस
पहल से दिव्यांग प्रमाणपत्र
की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी तथा अलग-अलग कार्यों के लिये कई
प्रमाणपत्र साथ रखने की परेशानी भी
दूर होगी|
इसके
तहत विकलांगता के प्रकार सहित
विभिन्न विवरण ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे|
छात्रवृत्ति
योजना
भारत
सरकार ने मैट्रिक से
पहले (46000 स्लॉट्स), मैट्रिक के बाद (16650 स्लॉट्स)
और उच्चस्तरीय शिक्षा (100 स्लॉट्स) पाने के इच्छुक छात्रों
के लिये भी योजना शुरू
की है।
स्वावलंबन
दिव्यांग
व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण
के लिये पिछले वर्ष एक राष्ट्रीय कार्ययोजना
की शरुआत की गई है।
दिव्यांगजन
सशक्तीकरण विभाग द्वारा आगामी तीन वर्षों (पहले वर्ष में एक लाख, दूसरे
वर्ष में डेढ़ लाख और तीसरे वर्ष
में ढ़ाई लाख) में पाँच लाख दिव्यांग व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण
देने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तय
करने का प्रस्ताव किया
गया है।
इस
कार्ययोजना का उद्देश्य वर्ष
2022 के अंत तक 25 लाख दिव्यांगजनों को कौशल प्रशिक्षण
प्रदान करना है।
चुनोतियाँ
दिव्यांगजनों
के लिये बने सबसे पहले कानून के गठन के
उपरांत समय-समय पर विशेष भर्ती
अभियान चलाए जाने के बावजूद सरकारी
नौकरियों में दिव्यांग व्यक्तियों के लिये आरक्षित
तीन प्रतिशत सीटों में से लगभग एक
प्रतिशत भर्तियाँ ही हो पाई
हैं और यह बात
सरकार ने स्वयं भी
स्वीकार की है।
ध्यातव्य
है कि 14,000 से भी अधिक
चिन्हित पदों पर अभी भी
भर्तियाँ होनी शेष हैं। अभी भी तकरीबन
10,000 नेत्रहीनों
के लिये आरक्षित सीटे