स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश में सबसे ज्यादा शौचालयों का निर्माण राजस्थान में
जयपुर। 15 अगस्त, 2014 को 68वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के ऎतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुये प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नागरिकों को स्वच्छ भारत के लिये आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में बताया कि देश की आजादी के 68 वर्ष के बाद भी देश के सभी घरों में शौचालय नहीं है। इस कारण से महिलाओं को भी खुले में शौच के लिये जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि संम्पूर्ण देश में स्वच्छता के लिये अभियान के रूप में कार्य किया जावे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2019 को स्वच्छ भारत के रूप में मनाई जाती है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रधानमंत्री के इस उद्बोधन को अमली जामा पहनाने के लिये राज्य में ‘स्वच्छ भारत सप्ताह’ धूमधाम से मनाया। राज्य व जिलास्तर पर समितियों का गठन कर अभियान के रूप में सफाई कार्य किया गया तथा जन जागरण के लिये विभिन्न माध्यमों से व्यापक प्रचार प्रसार की व्यवस्था की गई। इस सप्ताह के दौरान अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड, सड़कों, गलियों, मंदिरों व अन्य धार्मिक तथा पर्यटक स्थलों के आस पास भी विशेष सफाई की गई। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रदेश को सम्पूर्ण रूप से ओडीएफ बनाने के लिए बेहद तेजी से काम शुरू किया गया। प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता के क्षेत्र में किये गये गंभीर और सार्थक प्रयासों का ही परिणाम है कि व्यक्तिगत शौचालय निर्माण एवं उपयोग में वर्ष 2015-16 में राजस्थान देश में पहले पायदान पर खड़ा है।
निर्मल भारत अभियान – शहरी क्षेत्रों की भांंति ग्रामीण क्षेत्रों में भी 26 सितम्बर से 2 अक्टूबर, 2014 तक ‘राष्ट्रीय स्वच्छता जागरूकता सप्ताह’ का आयोजन किया गया। इसके लिये ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जिलास्तर की गतिविधियों के लिये 2 लाख रुपये। 06 पंचायत समिति से कम वाले जिलोंं के लिये 1.50 लाख रुपये, प्रति ब्लॉक स्तर पर 50 हजार रुपये, प्रति ब्लॉक तथा ग्राम पंचायत स्तर की गतिविधियों के लिये 5 हजार रुपये की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई। पब्लिक मूवमेंट बनायें -स्वच्छता अभियान को गति देने के उद्देश्य से जयपुर के शासन सचिवालय के कांफ्रेंस हाल में ‘स्वच्छ भारत मिशन‘ (ग्रामीण) पर जिला कलेक्टर्स की आमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि प्रदेश को वर्ष 2018 तक खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिये मिशन मोड पर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिये जिला कलक्टर्स स्वच्छ भारत मिशन को पब्लिक मूवमेंट बनायें ताकि लोग तन मन के साथ इससे जुडं़े। श्रीमती राजे ने कहा कि पूरा राजस्थान हमारे घर की तरह है। घर को साफ सुथरा रखना और स्वच्छता के प्रति सजग रहना महिलाओं के स्वभाव में शामिल है। प्रदेश में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से इसे आगें बढ़ाया जाना खुशी की बात है। मुख्यमंत्री ने जिला कलक्टर्स को योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के निर्देश दिये जिससे प्रदेश के सभी परिवारों को शौचालय से जोड़ा जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्य में जनप्रतिनिधियों को भी पूरा सहयोग देना चाहिये। इसी प्रकार से विद्यालयों में छात्र – छात्राओं के लिये अलग अलग शौचालय निर्माण का कार्य निर्धारित अवधि में पूरा किया जावे। कार्यशाला के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की सचिव विजयलक्ष्मी से भी चर्चा की गई। उन्होंने खुले में शौच मुक्त करने के लिये राज्य की मुख्यमंत्री और टीम राजस्थान के कार्य की सराहना की। कार्यशाला में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री सुरेंद्र गोयल ने बताया कि राजस्थान को खुले में शौच मुक्त करने के लिये राजस्थान टीम पूरे संकल्प के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2015-16 में 15 लाख, 2016 – 17 में 26 लाख और 2017-18 में 31 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य है।
ठोस कचरा प्रबंधन व केंद्रीय सहयोग – राज्य के जयपुर जोधपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर आदि बड़े शहर तथा अन्य शहरों मेें भी कम्पनियों के माध्यम से ठोस कचरा प्रबंधन के प्रयास बहुत पहले से ही किये जा रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबंधन के लिये केंद्र सरकार द्वारा पहले 240 रुपये प्रति व्यक्ति ग्रांट मिलती थी। वह अब बढ़कर 300 रुपये प्रति व्यक्ति कर दी दी गई है। इस मद में पहले राज्य को 2018 तक करीब 700 करोड़ रुपये मिलने थे। यह राशि अब बढ़ाकर लगभग एक हजार करोड़ रुपये कर दी गई है। ठोस कचरा प्रबंधन में डोर-टु-डोर कचरा संग्रहण, परिवहन प्रोसेसिंग और निस्तारण शामिल है। इसी प्रकार से कम्युनिटी शौचालय निर्माण के लिये भी राशि 26 हजार से बढ़ाकर 40 हजार 200 रुपये प्रति युनिट कर दी गई थी। वैसे प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों के लिये ठोस कचरा प्रबंधन के किये 2200 करोड़ की आवश्यकता है। घरेलू शौचालय निर्माण के लिये 12 हजार रुपये मुहैया करवाये जा रहे हैं।
उपलब्धियां – राज्य के शहरी क्षेत्रों में अब तक 76 हजार 929 घरेलू और 215 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया जा