- देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से लोगों को संक्रमित होने से बचाने के लिए पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद जारी लॉकडाउन के बीच हमने कई कानूनी धाराओं के बारे में सुना होगा। तो आइए जानते हैं-
क्या है IPC की धारा 188
- कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन महामारी कानून (Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत लागू किया गया है। इसी कानून में प्रावधान है कि अगर लॉकडाउन में सरकार के निर्देशों का कोई व्यक्ति उल्लंघन करता है, तो उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके खिलाफ ये धारा लगाई जा सकती है। यहां तक कि किसी के ऊपर ये धारा लगाने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए ये भी जरूरी नहीं कि उसके द्वारा नियम तोड़े जाने से किसी का नुकसान हुआ हो या नुकसान हो सकता हो।
क्या है सजा
- पहला - सरकार या किसी अधिकारी द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन करते हैं, या आपसे कानून व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है, तो कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या दोनों।
- दूसरा - आपके द्वारा सरकार के आदेश का उल्लंघन किए जाने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा, आदि को खतरा होता है, तो कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपए जुर्माना या दोनों। दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है।
धारा 271
- भारतीय दंड संहिता की धारा 271, क्वारंटाइन के नियम की अवज्ञा (Disobedience) से सम्बंधित प्रावधान है। यह एक वह प्रावधान है, जो जब लॉकडाउन ऑपरेशन में हो, तब लागू हो सकता है। आमतौर पर क्वारंटाइन का तात्पर्य, एक अवधि, या अलगाव के एक स्थान से है, जिसमें लोग या जानवर, जो कहीं ओर से आए हैं, या संक्रामक रोग के संपर्क में आए हैं, उन्हें रखा जाता है।
क्या है सजा
- इस प्रावधान के तहत, छह महीने तक का कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 के अंतर्गत यह कहा गया है कि, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर नियम की अवज्ञा करता है, जिसके तहत, कुछ स्थानों को, जहां कोई इन्फेक्शस फैला है, उसे अन्य स्थानों से अलग किया जाता है, तो ऐसा व्यक्ति, इस प्रावधान के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
धारा 269
- इसी प्रकार भारतीय दंड संहिता में अन्य दांडिक प्रावधान भी है जैसे धारा 269, इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अवैधानिक तरीके से अथवा लापरवाही पूर्वक ये जानते हुए ऐसा कृत्य करता है जिससे किसी जानलेवा बीमारी के फैलने का खतरा हो सकता है तो यह दंडनीय अपराध है।
क्या है सजा
- छः माह तक की जेल या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
धारा 270
- इसके अंतर्गत कोई व्यक्ति द्वेषतापूर्वक ऐसा कोई कृत्य करता है ये जानते हुए की ऐसा करने से कोई जानलेवा बीमारी फैलेगी तो यह दंडनीय अपराध है। परंतु यह कृत्य द्वेषतापूर्वक किया जाना पाए जाने पर ही मामला बनता है अन्यथा नहीं।
क्या है सजा
- दो वर्ष की जेल और जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
धारा 144 कैसे अलग है कर्फ्यू से
- धारा 144 लगने का मतलब है कि किसी जगह पर पांच या उससे ज्यादा लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते। आप अकेले हैं तो आ जा सकते हैं लेकिन कर्फ्यू में ऐसा नहीं है। अगर किसी जरूरी काम से निकलना होगा तो पुलिस से अनुमति लेनी होगी।
क्या है सजा
- उल्लंघन करने पर धारा 188 भारतीय दंड विधान के अंतर्गत केस दर्ज किया जाता है। सजा छः माह तक कारावास अथवा एक हजार रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों।