नोट छापने वाली देवास प्रेस का डिप्टी कंट्रोलर रोज चुरा रहा था गड्डियां, 90 लाख रु. बरामद
हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस (बीएनपी) में डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को 200-200 के नए नोट की दो गड्डियां चुराकर ले जाते हुए पकड़ा गया। जो एक मानवीय संकीर्ण सोच को दर्शाती है। वैसे भी क्या कमी थी इनको मिलने वाली सैलेरी और सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं में जो ये भी नहीं सोचो की जिन्दगी भर के लिए ऐसा काला दाग लगेंगा जो छुटाये नहीं छूटे। खैर आधुनिकता का बड़ा खेल है इनका दोष नहीं दोष पूरे सिस्टम को है। क्या एक जिम्मेदार व्यक्ति से यही अपेक्षा की जा सकती है।
सोचो जब कभी यही व्यक्ति बेरोज़गार रहा होगा तो भ्रष्ट अधिकारियों को भला-बुरा कहता होगा और सिस्टम को दोष देता होगा। सोचता होगा कि मैं ऐसा नहीं करूंगा, बल्कि देश सेवा में हमेशा गरीब का हित सर्वोपरि रखूंगा। परन्तु जब नौकरी लगी ये सब अतीत की बातें हो जाती है। क्योंकि भौतिक सुख-सुविधाओं के आगे ये सब बौने नजर आते हैं।
सीआईएसएफ ने उनके ऑफिस के डस्टबिन, लॉकर से 26 लाख 09 हजार 300 रुपए बरामद किए। जबकि घर में दीवान के अंदर रखे जूतों के बक्से और कपड़े की थैलियों से 64.5 लाख रुपए मिले। पूरी राशि 200 और 500 के नोटों में है।
मिलने वाले अधिकारों का गलत फायदा उठाने आने वाले अधिकारियों को भी शक के घेरे में ला दिया -
वर्मा बीएनपी में नोट वेरिफिकेशन सेक्शन के प्रमुख थे। इस वजह से अधिकारियों को मिली फ्रिस्किंग (तलाशी) में आंशिक छूट का फायदा उठाते और नोट चुराकर जूतों और कपड़ों में रखकर ले जाते थे। सीआईएसएफ ने उन्हें पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस ने नोट चुराने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
यह शर्मनाक है क्योंकि ऐसा समझा जाता है कि वे तो दूसरे स्टाफ पर निगरानी करेंगे। घटना के बाद अधिकारी स्तर की चेकिंग के संबंध में वरिष्ठ कार्यालय से मार्गदर्शन लिया जा रहा है।
हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास बैंक नोट प्रेस (बीएनपी) में डिप्टी कंट्रोलर मनोहर वर्मा को 200-200 के नए नोट की दो गड्डियां चुराकर ले जाते हुए पकड़ा गया। जो एक मानवीय संकीर्ण सोच को दर्शाती है। वैसे भी क्या कमी थी इनको मिलने वाली सैलेरी और सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं में जो ये भी नहीं सोचो की जिन्दगी भर के लिए ऐसा काला दाग लगेंगा जो छुटाये नहीं छूटे। खैर आधुनिकता का बड़ा खेल है इनका दोष नहीं दोष पूरे सिस्टम को है। क्या एक जिम्मेदार व्यक्ति से यही अपेक्षा की जा सकती है।
सोचो जब कभी यही व्यक्ति बेरोज़गार रहा होगा तो भ्रष्ट अधिकारियों को भला-बुरा कहता होगा और सिस्टम को दोष देता होगा। सोचता होगा कि मैं ऐसा नहीं करूंगा, बल्कि देश सेवा में हमेशा गरीब का हित सर्वोपरि रखूंगा। परन्तु जब नौकरी लगी ये सब अतीत की बातें हो जाती है। क्योंकि भौतिक सुख-सुविधाओं के आगे ये सब बौने नजर आते हैं।
सीआईएसएफ ने उनके ऑफिस के डस्टबिन, लॉकर से 26 लाख 09 हजार 300 रुपए बरामद किए। जबकि घर में दीवान के अंदर रखे जूतों के बक्से और कपड़े की थैलियों से 64.5 लाख रुपए मिले। पूरी राशि 200 और 500 के नोटों में है।
मिलने वाले अधिकारों का गलत फायदा उठाने आने वाले अधिकारियों को भी शक के घेरे में ला दिया -
वर्मा बीएनपी में नोट वेरिफिकेशन सेक्शन के प्रमुख थे। इस वजह से अधिकारियों को मिली फ्रिस्किंग (तलाशी) में आंशिक छूट का फायदा उठाते और नोट चुराकर जूतों और कपड़ों में रखकर ले जाते थे। सीआईएसएफ ने उन्हें पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस ने नोट चुराने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
यह शर्मनाक है क्योंकि ऐसा समझा जाता है कि वे तो दूसरे स्टाफ पर निगरानी करेंगे। घटना के बाद अधिकारी स्तर की चेकिंग के संबंध में वरिष्ठ कार्यालय से मार्गदर्शन लिया जा रहा है।