- एक दौर था जब सिनेमा मनोरंजन कम और सामाजिक कुरीतियों, छुआछूत और शोषण के खिलाफ बेहतरीन फिल्में बनाता था, जिससे समाज के लोग अपनी खामियों को दूर कर सामाजिक समानता की ओर बढ़ा। यह सच है किसी समाज की खामियां दिखाई जाए, किंतु यह भी क्या आप आस्था पर चोट कर रहे हो, और तब जब एक बड़ा वर्ग उस धर्म को मानता है। मौन उस दौर से फिल्मों को देखा है जब जमींदरों, सेठ-साहूकारों, गुण्डाराज जैसे विषयों पर फिल्में बनाई जाती थी, जिन्हें देखकर लगता था वाकई उस जमाने के लोग गलत थे।
- आज बॉलीवुड की कई फिल्मों का विरोध हो रहा है, जिनमें प्रमुख आमिर खान की फिल्में हैं। कारण साफ है उन्होंने हिन्दू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाई है। जिसका लोग खुलकर सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं।
- सच है हर धर्म, हर विचारधारा, हर संस्थान, हर सम्प्रदाय और जाति में खामियां होती है। उन सबमें जो खामियां है उन्हें अपने स्तर पर सुधारने के प्रयास किए जाने चाहिए। कबीरदास जी ने धर्मों में पनपे आडम्बरों पर क्या कम लिखा है, उन्होंने हर धर्म की खामियों को उजागर किया है, किसी एक की खामियों को उजागर नहीं किया।
- जबकि पूरा बॉलीवुड हिन्दू धर्म की खामियों को उजागर नहीं कर रहा है बल्कि उनका भद्दा मजाक बनाकर प्रस्तुत कर रहा है, जो कतई गलत है।
- रूढ़ियां तो अब बॉलीवुड में भी पसरने लगी है, अभी कुछ दिखी है, नेपोटिज्म के रूप में, जो पूरी तरह अपनी जड़ें जमा चुका है। यह सत्य भी है कोई दूसरे को क्यों काम दे जब अपना ही अभिनय कर ले। यही हो रहा है बॉलीवुड में एकाधिकार बन गया है, राइटर भी वही, निर्देशक भी वही, अभिनय करने वाले भी वही। देश के न जाने कितने टेलेंटेड युवा गुमान जिन्दगी में ही दम तोड़ देते हैं।
- पूरे बॉलीवुड ने जमींदारों, सेठ-साहूकारों की रॉयल लाइफ पर खूब फब्तियां कसी है पर बॉलीवुड वाले भूल गए कि उनके भी शौक कम नहीं है, महंगी लाइफ स्टाइल जिसका भार सीधा आमजन की जेब पर पड़ता है। एक विज्ञापन अरबों रुपये में साइन होता है जिसकी वसूली आमजन से की जाती है। हर साल नए विज्ञापन के लिए करार और वस्तुओं के दाम भी उसी तेजी के साथ बढ़ जाते हैं।
- आज का दौर ऐसा है कि जहां बॉलीवुड वालों का मेहनताना करोड़ों रुपये हैं जिसके मुकाबले आमजन 10 से 20 हजार रुपये में जीवनयापन करने को मजबूर है। यह तो उसी जमाने की याद दिलाता है जब मेहनत करने के बाद दो वक्त की रोटी का जुगाड़ या बेगार के बदले दो वक्त की रोटी। यही हो रहा है आमजन के साथ, केवल पेट पूजा। बाकी रॉयल लाइफ तो केवल ख्वाब है। यह तो फितरत है आदमी की, खामियां दूसरों की नजर आती है अपनी नहीं।
- आज बॉलीवुड वालों को नजर नहीं आ रहा कि जिस प्रकार राजाशाही का भार उस समय की जनता नहीं उठा पा रही थी वैसे ही आज के सेलिब्रिटी की पर्सनेलिटी को बरकरार रखने के लिए बढ़ते खर्च को वहन करने की क्षमता आमजन में धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
- चलो, अभी हम बायकॉट पर बात कर लेते हैं।
- ऐसा नहीं है लोग किसी धर्म विशेष के अभिनेताओं की फिल्मों का ही बायकॉट कर रहे हैं बल्कि उन सब का जिन्होंने हिन्दू धर्म की भावनाओं का आहत किया है।
- आमिर खान की हाल में रिलीज लाल सिंह चड्ढा का देशभर में बायकॉट हुआ। #BoycottLaalSinghChaddha के नाम से ट्वीटर पर ट्रेंड चला, साथ ही अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन का भी बायकॉट हुआ।
#BoycottbollywoodCompletely
#BoycottRakshaBandhanMovie
#BoycottDobaara
#BoycottBrahmastra
- इन अभिनेताओं ने हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं की आस्था पर गहरी चोट की है, जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है।
- इन तस्वीरों से मालूम होता है कि लोगों में इन अभिनेताओं के प्रति खूब विरोध भरा हुआ है।
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