रसिया
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
इत गोकुल उत मथुरा नगरी,
बीच बहे जमुना गहरी
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
धीरे चलूं तो मेरी पायल बजे,
कूद पडूं तो मैं डूबूं सबरी।
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
भर पिचकारी मेरे मुख पर मारी,
मेरी भीग गई अंगिया सगरी।
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
केसर कीच मच्यो आंगन में,
रपट पड़ी राधा गोरी,
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
चन्द्र सखी भज बालकृष्ण छबि,
चिरजीवै राधाकृष्ण जोरी
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
इत गोकुल उत मथुरा नगरी,
बीच बहे जमुना गहरी
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
धीरे चलूं तो मेरी पायल बजे,
कूद पडूं तो मैं डूबूं सबरी।
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
भर पिचकारी मेरे मुख पर मारी,
मेरी भीग गई अंगिया सगरी।
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
केसर कीच मच्यो आंगन में,
रपट पड़ी राधा गोरी,
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
चन्द्र सखी भज बालकृष्ण छबि,
चिरजीवै राधाकृष्ण जोरी
कैसे आऊं रे सांवरिया, तेरी ब्रज नगरी।
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