ओलम्पिक खेलों की तरह ही पैरालम्पिक खेलों का आयोजन किया जाता है।
जर्मन डॉक्टर सर लुडविग गुट्टमैन (Sir Ludwig Guttmann) पैरालंपिक खेलों के जनक माने जाते हैं। उनके प्रयासों के कारण आज पैरालंपिक एथलीटों को उनके कोयाल और उपलब्धियों के लिए पहचाना जाता है।
पैरालंपिक खेल समान उपचार और अवसर पर स्थायी प्रभाव के साथ दिव्यांगजनों के अधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेरक शक्ति बन गया है।
जर्मनी में 1930 के दशक में नाजी पार्टी के उदय और नूर्नबर्ग काननों के पारित होने के बाद उन्होंने पेशेवर रूप से दवा का अभ्यास बदं कर दिया। जर्मनी में बढ़ते यहूदियों पर अत्याचारों के बाद वे जर्मनी छोड़ कर 1939 में इंग्लैण्ड आ गए।
वर्ष 1944 में इंग्लैण्ड में उन्होंने व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया तथा पैरापलेजिया में अपने शोध को आगे बढ़ाया।
वर्ष 1948 में उन्होंने स्टोक मैंडेविल अस्पताल में एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें रीढ़ की हड्डी से संबंधित चोटों के साथ विश्व युद्ध के दिग्गज शामिल थे। चार वर्ष बाद इसमें हॉलैंड भी शामिल हुआ। इस तरह इंटरनेशनल मूवमेंट, जिसे अब पैरालम्पिक आंदोलन के रूप में जाना जाता है, का जन्म हुआ। रोम में पहली बार 1960 में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए ओलम्पिक शैली के खेल आयोजित किए गए थे।
वर्ष 1984 में 'पैरालम्पिक गेम्स' शब्द को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने मंजूरी दे दी और 1988 में सियोल में आयोजित खेलों में पैरालम्पिक शब्द का पहली बार औपचारिक प्रयोग किया गया।
वर्ष 2001 में पैरालम्पिक खेलों के संगठन की रक्षा करने और एक बोली, एक शहर के एक समझौते पर सहमति हुई। तय हुआ कि ओलम्पिक खेलों की मेजबानी करने वाले शहरों को अपनी बोली के हिस्से के रूप में पैरालम्पिक्स को भी शामिल करना होगा। साल्ट लेक सिटी 2002 खेलों के बाद से, एक ही आयोजन समिति ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों की मेजबानी के लिए जिम्मेदारी उठाती है।