वैदिक कालीन बिन्दु
ऋग्वेद के मंडलों के रचियता
देवताओं के विदेशी नाम
ऋग्वेद में उल्लेखित ‘पंच जन’ कबीले
पुरु, यदु, अनु, तुर्वशु और द्रह्यु
प्रसिद्ध दाशराज्ञ युद्ध के दस राजा
पुरु, यदु, अनु, तुर्वशु और द्रह्यु पंच जन के अलावा अकिंन, पक्थ, भलानस, शिव व विषाणी।
ऋग्वेद के मंडलों के रचियता
ऋषि मंडलगृहत्समद द्वितीय
विश्वामित्र तृतीय
अत्रि चतुर्थ
भारद्वाज षष्ठम्
वशिष्ठ सप्तम्
कण्व तथा अंगिरस अष्ठम्
ऋग्वैदिक कालीन विदुषी स्त्रियां
लोपामुद्रा, घोषा, शची, पोलोमी, कांक्षावृत्ति
उत्तर वैदिक कालीन विदुषी स्त्रियां
गार्गी, मैत्रेयी, गन्धर्वगृहीता
देवताओं के विदेशी नाम
वरुण - अहुरमज्दा, वरण (ईरान), यूरेनस (ग्रीक)अश्विन - डायरोसा कोराई (ग्रीक)
अग्नि - इग्नीस
मित्र - मिथ्र (ईरान)
इंद्र - इंदर (ईरान), जियस (ग्रीक) पैनकूसें (चीन)
द्यौ - जुपिटर (इटली)
सूर्य - हेलोइस (ग्रीक)
यम- एडम
रुद्र - अपोलो
वेदांग क्या है?
वेदों का अर्थ ठीक-ठीक समझने के लिए वेदांगों की रचना हुई।वेदांग कुल 6 हैं। ये सूत्र साहित्य के अंतर्गत आते है। ये निम्नलिखित है-
1. शिक्षा (स्वरविज्ञान): यह शुद्ध उच्चारण से सम्बन्धित है।
2. व्याकरण
3. निरुक्त (यास्क): वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति से सम्बन्धित
4. छंदः इसके दो भाग हैं- लौकिक एवं अलौकिक। वेदों में अलौकिक छंद का प्रयोग।
5. ज्योतिषः इसके दो भाग हैं- गणित ज्योतिष और फलित ज्योतिष
6. कल्प (धर्मानुष्ठान): ये ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। इसके निम्न चार भाग हैं-
अ. श्रौत सूत्र- इसमें यज्ञ सम्बंधी नियम-विनियम हैं।
ब. शुल्व सूत्र- इसमें यज्ञ वेदिकाओं के निर्माण एवं माप सम्बन्धी नियम हैं। ज्यामितीय गणित का आरंभ यहीं से हुआ माना जाता है।
स. गृह सूत्र- इसमें मनुष्य के गृहस्थ के लौकिक एवं पारलौकिक कर्त्तव्यों का वर्णन है।
द. धर्म सूत्र - इसमें धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक नियमों की चर्चा है। ये भारतीय विधि के प्रारंभिक स्रोत है।
वैदिक कालीन नदियां
प्राचीन नाम आधुनिक नामसिंधु सिंध
वितस्ता झेलम
विपाशा व्यास
सदानीरा गण्डक
गोमती गोमल
सुवस्तु स्वात
अस्किनी चिनाब
परुष्णी रावी
शतुद्री सतलज
कुभा काबुल
दृसद्वती घग्घर
वैदिक कालीन क्षेत्र
ब्रह्मावर्त कुरुक्षेत्र के निकट का क्षेत्र
ब्रह्मर्षि देश गंगा-यमुना का दोआब क्षेत्र
मध्य देश हिमालय एवं विन्ध्याचल पर्वतों के बीच का क्षेत्र
आर्यावर्त्त संपूर्ण उत्तरी भारत